Rashmirathi - 1952
रश्मिरथी, जिसका अर्थ "सूर्यकिरण रूपी रथ का सवार" है, हिन्दी के महान कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित प्रसिद्ध खण्डकाव्य है। यह 1952 में प्रकाशित हुआ था। इसमें 7 सर्ग हैं। इसमें कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है। रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और विश्वसनीयता की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है। रश्मिरथी में दिनकर ने सारे सामाजिक और पारिवारिक सम्बन्धों को नये सिरे से जाँचा है। चाहे गुरु-शिष्य सम्बन्धों के बहाने हो, चाहे अविवाहित मातृत्व और विवाहित मातृत्व के बहाने हो, चाहे धर्म के बहाने हो, चाहे छल-प्रपंच के बहाने।
युद्ध में भी मनुष्य के ऊँचे गुणों की पहचान के प्रति ललक का काव्य है ‘रश्मिरथी’। ‘रश्मिरथी’ यह भी सन्देश देता है कि जन्म-अवैधता से कर्म की वैधता नष्ट नहीं होती। अपने कर्मों से मनुष्य मृत्यु-पूर्व जन्म में ही एक और जन्म ले लेता है। अन्ततः मूल्यांकन योग्य मनुष्य का मूल्यांकन उसके वंश से नहीं, उसके आचरण और कर्म से ही किया जाना न्यायसंगत है।
दिनकर में राष्ट्रवाद के साथ-साथ दलित मुक्ति चेतना का भी स्वर है, रश्मिरथी इसका प्रमाण है। दिनकर के अपने शब्दों में, कर्ण-चरित्र का उद्धार, एक तरह से नई मानवता की स्थापना का ही प्रयास है।
प्रथम सर्ग
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 1
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 2
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 3
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 4
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 5
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 6
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 7
द्वितीय सर्ग
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 1
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 2
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 3
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 4
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 5
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 6
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 7
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 8
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 9
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 10
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 11
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 12
रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 13
तृतीय सर्ग
रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 1
रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 2
रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 3
रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 4
रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 5
रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 6
रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 7
चतुर्थ सर्ग
रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 1
रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 2
रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 3
रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 4
रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 5
रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 6
रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 7
पंचम सर्ग
रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 1
रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 2
रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 3
रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 4
रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 5
रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 6
रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 7
षष्ठ सर्ग
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 1
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 2
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 3
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 4
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 5
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 6
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 7
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 8
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 9
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 10
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 11
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 12
रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 13
सप्तम सर्ग
रश्मिरथी / सप्तम सर्ग / भाग 1
रश्मिरथी / सप्तम सर्ग / भाग 2
रश्मिरथी / सप्तम सर्ग / भाग 3
रश्मिरथी / सप्तम सर्ग / भाग 4
रश्मिरथी / सप्तम सर्ग / भाग 5
रश्मिरथी / सप्तम सर्ग / भाग 6
रश्मिरथी / सप्तम सर्ग / भाग 7
रश्मिरथी / सप्तम सर्ग / भाग 8
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